Bullet Train Project Trial Run: भारत की पहली बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट को पूरा करने का काम जोरों से किया जा रहा है. बुलेट ट्रेन सबसे पहले मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने जा रही है. जिसका ट्रायल रन संभवत: 2026 में होगा. इससे पहले रेल मंत्रालय की ओर से मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर पर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया जा रहा है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुलेट ट्रेन को 28 सिस्मोमीटर सिस्टम से लैस करने की घोषणा की है।
रेल मंत्रालय की ओर से उठाया जा रहा यह कदम यात्रियों की सुरक्षा की दिशा में काफी अहम माना जा रहा है. भारत की इस पहली निर्माणाधीन बुलेट ट्रेन को भूकंपमापी प्रणाली से लैस करने के पीछे मुख्य उद्देश्य भूकंप का तुरंत पता लगाना है। इससे हाई स्पीड रेल यात्रा के दौरान संभावित खतरों को कम करने के उपाय किये जा सकेंगे.
एनएचएसआरसीएल के मुताबिक, रेल मंत्रालय ने जिन 28 सिस्मोमीटर को लगाने की योजना बनाई है, उनमें से महाराष्ट्र और गुजरात के अलग-अलग शहरों को चुना गया है। इन शहरों में चयनित स्थानों पर यह सिस्टम लगाया जाएगा। ये स्थान हाई स्पीड रेल कॉरिडोर से जुड़े विशिष्ट शहरों से सटे क्षेत्रों में हैं। कुल 28 में से 8 भूकंपमापी सिस्टम महाराष्ट्र के विशेष स्थानों जैसे मुंबई, ठाणे, विरार और बोइसर में स्थापित करने की योजना है।
वहीं, गुजरात के वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, महेमबाद और अहमदाबाद आदि शहरों में कुल 14 भूकंपमापी लगाए जाएंगे। इसके साथ ही शेष 6 भूकंप मापक यंत्र भूकंप संभावित क्षेत्रों में लगाये जायेंगे. इनमें महाराष्ट्र के खेड़, रत्नागिरी, लातूर और पांगरी के साथ-साथ गुजरात के अडेसर और पुराना भुज आदि स्थान शामिल हैं।
मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) कॉरिडोर से सटे इलाकों में पिछले 100 वर्षों में 5.5 से अधिक तीव्रता वाले भूकंपों का सर्वेक्षण भी किया गया। इतना ही नहीं, विस्तृत सर्वेक्षण के साथ-साथ बहुत कम कंपन या तीव्रता वाले भूकंपीय झटकों का भी पूरा अध्ययन किया गया। इस दौरान मिट्टी की उपयुक्तता का भी परीक्षण किया गया। इन सभी रिपोर्टों के बाद ही एमएएचएसआर कॉरिडोर से सटे इलाकों को भूकंपमापी यंत्रों की स्थापना के लिए चुना गया।